Uttarakhand Mukhyamantri Vatsalya Yojana registration Form | उत्तराखंड अनाथ बच्चा पेंशन योजना आवेदन पंजीकरण प्रक्रिया | मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत वात्सल्य योजना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन | Vatsalya Yojana Uttarakhand Application Form PDF Download
उत्तराखंड सरकार द्वारा कोविड-19 से प्रभावित हुए परिवारों को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता भत्ता दिया जाएगा। जिसके लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी द्वारा मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना 2022 को शुरू किया गया है। इस योजना का लाभ उन परिवारों को दिया जाएगा, जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु कोरोना वायरस (Covid-19) के कारण हुई हो। यदि आप भी उत्तराखंड वात्सल्य योजना के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो हमारे लिए को ध्यान पूर्वक अंत तक पढ़े।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना उत्तराखंड सरकार द्वारा कोविड-19 के कारण हुए, अनाथ बच्चों को ₹3000 पेंशन प्रदान की जाएगी। साथ ही राज्य सरकार द्वारा बच्चे को रोजगार के लिए मुफ्त में प्रशिक्षण एवं निशुल्क शिक्षा प्रदान किया जाएगा। जिसके चलते हैं सरकार ने इस योजना के साथ-साथ पैतृक संपत्ति के विशेष नियम बनाने की भी घोषणा की है। पैतृक संपत्ति के लिए इस प्रकार से नियम लागू किए जाएंगे। कि ताकि कोई अनाथ बच्चों की पैतृक संपत्ति को किसी भी प्रकार का लोभ- प्रलोभन देकर पैतृक संपत्ति को हड़पना या बेचने का अधिकार नहीं दिया जाएगा । उत्तराखंड मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज, पात्रता, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए हमारे लिए के साथ बने रहें।
Uttarakhand Mukhyamantri Vatsalya Yojana 2022
योजना का नाम | उत्तराखंड बाल सेवा योजना /वात्सल्य योजना 2022 |
राज्य | उत्तराखंड |
शुरू की गयी योजना | मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत |
लाभार्थी | कोरोना के कारण जिन बच्चों के माता पिता की मृत्यु हुई है |
सम्बंधित विभाग | समाज कल्याण विभाग एवं श्रम विभाग |
उद्देश्य | अनाथ बच्चों भरण पोषण पत्ता, मुफ्त शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करना |
पेंशन सहायता राशि | ₹3000 प्रति माह 21 वर्ष तक की आयु के लिए |
आवेदन प्रक्रिया | ऑफलाइन, ऑनलाइन |
आधिकारिक वेबसाइट | अभी शुरू नहीं हुयी |
उत्तराखंड मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना क्या है?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी द्वारा 22 मई 2022 को Mukhyamantri Vatsalya Yojana की घोषणा की गई। इस योजना का लाभ उत्तराखंड सरकार द्वारा उन बच्चों को दिया जाएगा। जिनके माता-पिता की मृत्यु कोरोनावायरस जैसे हुई हो। भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बहुत से बच्चों को अनाथ कर दिया है। जिसके कारण बहुत से परिवार प्रभावित हो गए हैं। बच्चों के माता-पिता की मृत्यु होने के कारण बहुत से बच्चे अनाथ हो गए हैं। और परिवार का आय स्रोत का साधन समाप्त हो गया है। इस विषम परिस्थिति को देखते हुए उत्तराखंड सरकार द्वारा। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना शुरू की गई है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य है कि बेसहारा हुए परिवारों को मुफ्त शिक्षा एवं फ्री में रोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना। साथ ही परिवार का आय साधन के लिए ₹3000 प्रति माह पेंशन का प्रावधान रखा गया है।
उत्तराखंड वात्सल्य योजना के लाभ –
- अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी सरकार उठाएगी ,
- योजना का लाभ उत्तराखंड के मूलनिवासी बच्चों को दिया जाएगा।
- उत्तराखंड कोरोना प्रभावित योजना का लाभ उन बच्चों को दिया जाएगा जिनके माता-पिता की मृत्यु कोविड-19 पॉजिटिव होने के कारण हुई है।
- इस योजना के तहत बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान एवं रोजगार के लिए फ्री में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- 21 वर्ष से कम आयु के बच्चों को राज्य सरकार की ओर से ₹3000 पेंशन प्रतिमा प्रदान की जाएगी।
- योजना के साथ-साथ पैतृक संपत्ति निगम भी लागू किया जाएगा।
- पैतृक संपत्ति कानून में बच्चे के माता पिता के नाम पर जो भी संपत्ति होगी उसे बच्चे के 21 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले बेचा नहीं जा सकता है।
- अनाथ बच्चों के लिए आय का आधार, शिक्षा, एवं रोजगार का आधार प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना की पात्रता –
- योजना का लाभ किस वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को दिया जाएगा।
- जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु RT-PCR रैपिड एंटीजन टेस्ट Covid -19 पॉजिटिव हो के कारण हुई हो।
- आवेदक उत्तराखंड का निवासी होना चाहिए।
- योजना का लाभ चयनित अनाथ बच्चों को दिया जाएगा।
- जिन बच्चों के अभिभावकों की मृत्यु मार्च 2022 के बात हुई हो।
- आवेदक का परिवार पहले से किसी भी प्रकार की सरकारी पेंशन का लाभार्थी ना हो।
- योजना का लाभ बच्चों को 21 वर्ष की आयु तक दिया जाएगा।
- आवेदक पहले से किसी भी अन्य केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई, इस प्रकार की योजना का लाभ आरती ना हो।
Uttarakhand Mukhyamantri Vatsalya Yojanaके दस्तावेज
- योजना का आवेदन पत्र।
- अनाथ बच्चों का आधार कार्ड।
- आवेदक बच्चों के नाम की बैंक पासबुक।
- उत्तराखंड मूल निवासी प्रमाण पत्र की छाया प्रति
- बच्चों के आयु का जन्म प्रमाण पत्र की छाया प्रति
- माता या पिता की मृत्यु कोविड-19 के कारण होने का मेडिकल बोर्ड का प्रमाण पत्र की छाया प्रति
- बच्चे के पासपोर्ट साइज फोटो
- परिवार रजिस्टर नकल/ राशन कार्ड
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के लिए आवेदन फॉर्म कैसे करें-
- कोरोना संक्रमण की वजह से जिन बच्चों के माता-पिता की मृत्यु हो गई है, वह इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- जिसके लिए आवेदन फॉर्म ग्राम पंचायत स्तर, ब्लॉक, जिला मुख्यालय, नगर निगम के कार्यालय में भरे जाएंगे।
- यदि आप इस योजना के पात्र हैं तो आपको संबंधित अपने नजदीकी किसी भी सरकारी कार्यालय में जाकर आवेदन फॉर्म जमा करना होगा।
- मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना एप्लीकेशन फॉर्म में आपको कुछ अपनी मुख्य जानकारी भरनी होगी। एवं माता पिता के मृत्यु होने का कारण आदि जैसी अन्य जानकारियों का विवरण भरना होगा।
- जिसके बाद उत्तराखंड वात्सल्य योजना आवेदन प्रपत्र के साथ आपको सभी प्रकार के आवश्यक दस्तावेजों को संलग्न करना होगा।
- जिसके बाद अधिकारी द्वारा आवेदन प्रक्रिया जांच पूरी होने के पश्चात, आपको योजना का लाभ दिया जाएगा।
- आवेदन जांच प्रक्रिया पूरी होने के पश्चातआपका चयन होने के बाद आपको उत्तराखंड मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना आवेदन फॉर्म PDF Download –
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा शुरू की गयी, वात्सल्य योजना में कोविद -19 के कारण परिवार की मुखिया की मृत्यु होने पर 4,00,000 रुपए का मुआवजा प्रदान किया जायेगा। जिसके लिए आपको आवेदन करने हेतु नीचे दिये गये फॉर्म को डाउनलोड करना होगा। और अपने ब्लॉक या नगरनिगम के कार्यालय में अभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होगा।
कोविड के कारण मृत्यु होने पर मुआवजा हेतु आवेदन फॉर्म PDF Download –
कोरोना से माता पिता या दोनों में से किसी एक की मौत पर बच्चों के लालन-पालन के लिए वात्सल्य योजना को मुख्यमंत्री की घोषणा के 18 दिन बाद कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। वर्तमान में इस योजना से प्रदेश के 500 से अधिक बच्चे लाभान्वित होंगे। इनकी संख्या अगले कुछ दिनों में बढ़ सकती है। इसमें सबसे अधिक 131 बच्चे हरिद्वार जिले के हैं।
विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 264 बालक एवं 247 बालिकाओं के सिर से माता या पिता का साया उठा है। इसमें हरिद्वार के बाद दूसरे नंबर पर देहरादून में सबसे अधिक 69 मामले हैं। टिहरी गढ़वाल में 67, नैनीताल जिले में 64 प्रकरण अब तक सामने आए हैं प्रदेश में सबसे कम चार प्रकरण पौड़ी गढ़वाल के हैं। इस जिले में तीन बालकों एवं एक बालिका के सिर से माता पिता का साया उठा है। कैबिनेट के प्रस्ताव के मुताबिक इन बच्चों को आर्थिक सहायता, खाद्य सुरक्षा दिए जाने के साथ ही इनके इलाज एवं निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए सभी तहसीलों में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।
24 घंटे के भीतर प्रभावित बच्चों से करना होगा संपर्क
प्रदेश के हर जिले में जिलाधिकारी के निर्देशन में चलने वाली जिला बाल इकाई को प्रभावित बच्चों की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर उनसे वर्चुअल या व्यक्तिगत रूप से संपर्क करना होगा। इकाई उनसे मिलकर उनकी वर्तमान स्थिति का प्रारंभिक आंकलन करेगी। जो यह देखेगी कि माता पिता या संरक्षक की मौत की वजह, परिवार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति, परिवार की आय का जरिया, प्रभावित बच्चों की व्यक्तिगत जानकारी व उनकी शिक्षा का स्तर की जानकारी लेगी।
प्रदेश में कोविड की वजह से कई बच्चों ने अपने माता पिता या फिर कमाने वाले परिजनों को खो दिया है। सरकार की मंशा इन बच्चों की मदद करने की रही है, लेकिन विभिन्न विभागों के बीच तालमेल के अभाव के चलते योजना को मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। मंगलवार आठ जून को अमर उजाला में तालमेल के अभाव ने अटकाया वात्सल्य खबर छपी तो संबंधित विभाग हरकत में आए। जिनकी सहमति के बाद बुधवार को इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। कैबिनेट में आए प्रस्ताव में कार्मिक विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, तकनीकी शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से योजना पर सहमति दी गई।
ये बच्चे होंगे योजना के लिए पात्र
– माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो।
– माता-पिता में से किसी एक की कोविड से मौत हो गई हो एवं दूसरे का पूर्व में देहांत हो गया हो।
– परिवार के कमाऊ सदस्य माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु हो गई हो ।
– माता-पिता की पूर्व में मृत्यु हो चुकी हो व संरक्षक की मृत्यु हो गई हो ।
बच्चों के चिन्हीकरण के लिए समस्त एसडीएम होंगे उत्तरदायी
प्रदेश में प्रभावित बच्चों के चिन्हीकरण के लिए समस्त तहसीलों के उपजिलाधिकारी इस कार्य के लिए उत्तरदायी होंगे। जो अपने अधीन नायब तहसीलदारों एवं प्रभारी नायब तहसीलदारों को इस काम के लिए नोडल अधिकारी नामित करेंगे।
बच्चों की मदद के लिए इनका लिया जाएगा सहयोग
नोडल अधिकारी प्रभावित बच्चों की मदद के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों, शिक्षकों, एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं, स्थानीय स्वयं सेवी संस्थाओं, चाईल्ड हेल्पलाइन, ग्राम एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के सहयोग से प्रभावित बच्चों का चिन्हीकरण करेंगे।
जरूरतमंद श्रेणी का बच्चा होगा घोषित
ऐसे लाभार्थी जिनकी देखभाल के लिए कोई नहीं है। बाल कल्याण समिति उसे जरूरतमंद श्रेणी का बच्चा घोषित करेगी।
बच्चों की पैतृक संपत्ति की होगी सुरक्षा, डीएम होंगे नोडल अधिकारी
जिला बाल इकाई की ओर से ऐसे बच्चों की पैतृक संपत्ति, उत्तराधिकार एवं विधिक अधिकारों को संरक्षित रखने में सहयोग किया जाएगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से उन्हें निशुल्क सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। बच्चों की पैतृक संपत्ति की सुरक्षा के लिए संबंधित जिले के जिलाधिकारी नोडल अधिकारी होंगे।
21 साल की उम्र तक हर महीने मिलेगी तीन हजार की आर्थिक सहायता
बच्चों को 21 साल की उम्र तक हर महीने तीन हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। यदि बच्चे की उम्र 18 साल से कम है तो यह धनराशि उपयुक्त व्यक्ति,संरक्षक व बच्चे के संयुक्त खाते में डीबीटी के माध्यम से जमा की जाएगी। 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद लाभार्थी के खाते में यह धनराशि जमा की जाएगी।
नवोदय विद्यालयों में प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा
कक्षा एक से 12 तक सरकारी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। सरकारी आवासीय विद्यालयों, राजीव गांधी नवोदय विद्यालय आदि में लाभार्थियों को प्रवेश में आरक्षण व निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा उच्च शिक्षा में ऐसे बच्चों को प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा चिकित्सा एवं तकनीकी शिक्षा में भी प्रवेश में आरक्षण और निशुल्क शिक्षा दी जाएगी।
सरकारी नौकरियों में मिलेगा पांच फीसदी का क्षैतिज आरक्षण
प्रदेश की सरकारी सेवाओं में लाभार्थियों को पांच फीसदी का क्षैतिज आरक्षण प्रदान किया जाएगा। बच्चों को योजना के लाभ के लिए आवेदन का दायित्व संबधित तहसीलों के नोडल अधिकारियों का होगा।
सीएम की घोषणा के बाद वात्सल्य योजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है, इसके लिए मुख्यमंत्री का आभार, योजना से प्रदेश के पात्र बच्चों को इसका लाभ मिलेगा।
-रेखा आर्य, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री